पंचायत सहायक/एकाउन्टेन्ट कम डेटा इन्ट्री आपरेटर पद हेतु विज्ञप्ति , आवेदन पत्र एवं रिक्त पदों का ग्राम पंचायतवार विवरण राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान योजनान्तर्गत पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान (प्रिट) द्वारा प्रदेश के समस्त जिला पंचायत सदस्यों के एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन (दिनांक 14 से 26 दिसम्बर,२०२२ तक) 24 अप्रैल 2022 राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार- 2022, का वितरण

लोकल गवर्नमेंट डायरेक्टरी(एल०जी०डी०) पर समस्त मंडलीय/जिला परियोजना प्रबंधक का 02 दिवसीय प्रशिक्षण |
पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान (प्रिट) द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस -24 अप्रैल, 2022
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस -24 अप्रैल, 2022
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस -24 अप्रैल, 2022
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस -24 अप्रैल, 2022
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
पंचायत भवन उदघाटन
प्रिट ट्रेनिंग
जन योजना अभियान
पूर्व मा० विद्यालय टिकरा मऊ, जनपद-चित्रकूट
प्राथमिक विद्यालय तिलौली मऊ, जनपद-चित्रकूट
पूर्व मा० विद्यालय सेमरिया, जनपद-चित्रकूट
ऑपरेशन कायाकल्प- १४वें/राज्य वित्त की धनराशि से कायाकल्पित पंचायत भवन
पंचायत भवन, जनपद-शामली
पंचायत भवन, संडीला जनपद-हरदोई
राज्य वित्त आयोग की धनराशि से गौशाला में पेयजल,टिनशेड एवं बिजली की व्यवस्था
गौशाला
अंत्येष्ठी स्थल निर्माण योजना अन्तर्गत निर्मित अंत्येष्ठी स्थल

एक नज़र - पंचायती राज विभाग


Tपंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज अधिनियमों अर्थात् उ.प्र. पंचायत राज अधिनियम-1947 एवम् उ.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1961 में अपेक्षित संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक विकेन्द्रीकरण एवं प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था जिसके द्वारा की गई संस्तुतियों के अध्ययनोंपरान्त तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति (एच.पी.सी.) द्वारा वर्ष 1997 में 32 विभागों के कार्य चिन्हित कर पंचायती राज संस्थाओं को हस्तान्तरित करने की सिफारिश की गयी थी। प्रदेश सरकार संवैधानिक भावना के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार एवं दायित्व सम्पन्न करने के लिए कटिबद्ध है। भारत के प्राचीनतम उपलब्ध ग्रन्थ ऋग्वेद में ‘सभा’ एवम् ‘समिति’ के रूप में लोकतांत्रिक स्वायत्तशासी संस्थाओं का उल्लेख मिलता है। इतिहास के विभिन्न अवसरों पर केन्द्र में राजनैतिक उथल पुथलों के बावजूद सत्ता परिवर्तनो से निष्प्रभावित रहकर भी ग्रामीण स्तर पर यह स्वायत्तशासी इकाइयां पंचायतें आदिकाल से निरन्तर किसी न किसी रूप में कार्यरत रही हैं। अधिक देखें..