मुख्यमंत्री पुरस्कार

मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा राष्ट्रीय पंचायत दिवस दिनांक 24 अप्रैल, 2017 के अवसर पर की गयी घोषणा के क्रम में राष्ट्रीय स्तर पर पंचायत सशक्तीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को दिये जाने वाले ’’दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार‘‘ की भाँति उत्तर प्रदेश में उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों का चयन करते हुए प्रत्येक वर्ष प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जायेगा। इस योजना को राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 में ‘‘मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन योजना‘‘ के नाम से संचालित करने का निर्णय लिया गया है।

योजना का उद्देश्य

1-पंचायतों को जवाबदेह संस्था के रूप में विकसित किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया जाना।
2-पंचायतों को अधिनियम व नियम के अनुसार कार्यवाही करने हेतु प्रोत्सहित किया जाना।
3-उत्कृष्ट कार्य करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत किया जाना।
4-ग्राम पंचायतों को स्मार्ट ग्राम पंचायत के रूप में विकसित किया जाना।

ग्राम पंचायतों की चयन प्रक्रिया

1. मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार हेतु ग्राम पंचायतें स्वमूल्यांकन के पश्चात् राज्य स्तर से निर्मित आन-लाइन प्रश्नावली को स्वयं के स्तर से निश्चित समयसीमा में भरकर पुरस्कार हेतु आवेदन करेगी।
2. जनपद स्तर पर गठित जनपद परफारमेंस असेसमेन्ट कमेटी ग्राम पंचायतों द्वारा भरी गयी प्रश्नावली का परीक्षण कर उन्हें फ्रीज करेगी।
3. फ्रीज करने के उपरान्त समिति द्वारा ग्राम पंचायतों का स्थलीय सत्यापन कराया जायेगा जिसके लिए समिति प्रत्येक वर्ष पुरस्कृत की जाने वाली ग्राम पंचायतों की संख्या के दोगुना ग्राम पंचायतों का अवरोही क्रम में चयन करेगी।
4. समिति द्वारा स्वयं के स्तर से टीम गठित कर स्थलीय सत्यापन कराया जायेगा। टीम ग्राम पंचायतों का स्थलीय सत्यापन कर रिर्पोट समिति को प्रस्तुत करेगी तथा रिर्पोट के परीक्षण पश्चात् प्रत्येक विकास खण्ड से सर्वाधिक अंक वाली 03 ग्राम पंचायतों की सूची पुरस्कार हेतु राज्य को प्रेषित करेगी।
5. जनपदों से प्राप्त सूची का राज्य परफारमेंस एसेसमेंट समिति द्वारा परीक्षण किया जायेगा तथा यथा आवश्यकतानुसार समिति द्वारा सूची की ग्राम पंचायतों का मण्डलीय उपनिदेशक(पं0) के माध्यम से स्थलीय सत्यापन कराया जायेगा।
6. सत्यापन के दौरान किसी ग्राम पंचायत का कार्य असन्तोषजनक पाया जाता है तो उस ग्राम पंचायत को सूची से हटाने के लिये राज्य परफारमेंस एसेसमेंट समिति अधिकृत होगी। तत्पश्चात स्टेट परफारमेन्स असेसमेन्ट कमेटी प्रत्येक जनपद से 05 अर्थात 375 ग्राम पंचायतों को अनुमोदित कर प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगी।
योजनान्तर्गत वर्ष 2018-19 के अनुमोदित बजट के आधार पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्टेट पंचायत एसेसमेंट कमेटी (SPAAC) के निर्णय अनुसार इस वर्ष प्रत्येक जनपद से 05 ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत किया जाना है।अतः निम्न गतिविधियों को समय-अन्तर्गत पूर्ण किया जाना अनिवार्य हैः-

क्र.सं. गतिविधि
1 पंचायतों द्वारा स्वमूल्यांकन किया जाना
2 जनपद परफारमेंस असेसमेन्ट कमेटी द्वारा परीक्षण एवं स्थलीय सत्यापन की रणनीति तैयार करना
3 स्थलीय सत्यापन टीम द्वारा ग्राम पंचायतों का सत्यापन कर रिपोर्ट जनपद स्तरी समिति को प्रस्तुत करना
4 जनपद स्तरीय समिति द्वारा सर्वाधिक अंक वाली ग्राम पंचायतों की सूची पुरस्कार हेतु राज्य परफारमेन्स एसेसमेंट समिति (SPAAC) को प्रेषित करना
5 राज्य परफारमेंस एसेसमेंट समिति (SPAAC) द्वारा प्राप्त सूची का परीक्षण एवं स्थलीय सत्यापन की रणनीति तैयार करना
6 यथा आवश्यकतानुसार समिति द्वारा मण्डलीय उपनिदेशक(पं0) के माध्यम से स्थलीय सत्यापन कराया जाना
7 स्टेट परफारमेन्स असेसमेन्ट कमेटी (SPAAC) द्वारा ग्राम पंचायतों को अनुमोदित कर प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रस्तुत करना
8 मुख्यमंत्री पंचायत प्रोत्साहन पुरस्कार वितरण समारोह
उक्त गतिविधियों हेतु जनपदों द्वारा निम्न कार्य किये जाने है :-

1. प्रचार-प्रसार
2. समस्त गतिविधियों को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करना।
3. अधिक से अधिक संख्या में पंचायतों द्वारा नामांकन भरे जाने हेतु प्रोत्साहित करना।

पुरस्कार धनराशि (2018-19)

प्रति जनपद पुरस्कार पुरस्कार धनराशि
प्रथम पुरस्कार 8.0 लाख
द्वितीय पुरस्कार 7.0 लाख
तृतीय पुरस्कार 5.0 लाख
चतुर्थ पुरस्कार 3.0 लाख
पंचम पुरस्कार 2.0 लाख
57691

Gram Panchayats

826

Block Panchayat

75

District

56,642

Panchayat Bhawan

हमारे बारे में

पंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज अधिनियमों अर्थात् उ.प्र. पंचायत राज अधिनियम-1947 एवम् उ.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1961 में अपेक्षित संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक विकेन्द्रीकरण एवं प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था

विभागीय उपलब्धियाँ