ग्राम पंचायतों की संयुक्त समितियों द्वारा संचालित पंचायत उद्योग

ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों की अर्थव्यवस्था को नयी दिशा देने, उन्हें आय के निजी स्त्रोत प्रदान करने एंव ग्रामीण अर्थ एवं बेरोजगारी की स्थिति पर प्रभावी नियंत्रण आदि के उद्देश्य से पंचायती राज विभाग द्वारा प्रदेश की गांव पंचायतों के निजी प्रयत्नों से पंचायत उद्योगों का एक मौलिक एंव देश में अपने ढंग का अग्रणी कार्य क्रम क्रि यान्वित किया जा रहा है।
प्रदेश में पंचायत उद्योगों की अग्रगामी योजना का सूत्रपात वर्ष 1961 में चिनहट पंचायत उद्योग, लखनऊ की स्थापना से पचंायत राज अधिनियम 1947 की धारा 30 की व्यवस्थाओं के अन्तर्गत किए गये प्राविघानों के अनुसार दो या दो से अधिक ग्राम पंचायतों के एक लिखित विलेख द्वारा स्थापित करके किया गया था। वर्तमान में प्रदेश में 805 पंचायत उद्योग कार्य कर रहे हैं। जनपदवार पंचायत उद्योगों की संख्या परिशिष्ट-8 पर संलग्न है।
पंचायत उद्योगों के उत्पादन कार्य को आगे बढानें की दृष्टि से प्रदेश के प्रत्येक जनपद-मुख्यालय पर केन्द्रीय प्रिंटिग प्रेस की स्थापना का निर्णय लिया गया। वर्त मान में प्रदेश के 43 जनपदों में 46 प्रिंटिग प्रेस स्थापित हंै। जनपदवार प्रिन्टिग पे्रसों की स्थिति परिशिष्ट-9 पर संलग्न है।

पंचायत उधोगो में किये जाने वाले कार्य

इन उद्योगों द्वारा लकड़ी तथा स्टील के फर्नीचर जैसे - कुर्सी, मेज, आलमारी, रैक, बुक-केसेज, टावल स्टैण्ड, तख्त, डेस्क, ब्लैक बोर्ड, पलंग, चकला, बेलन, खिड़की, चारपाई के पाये, सोफा सेट, नाव, बैलगाड़ी, डनलप गाडी की बाडी, शौचालय सेट, हयूम पाइप, नांद, सीमेंट की नाली, वाशबेसिन, सीमेन्ट के ब्लाक, कुदाल, खुरपा, फावड़ा, बाल्टी, पावर थे्रशर, हंगडा तथा अन्य विभिन्न प्रकार के सामान, हजारा ग्रेनविन, आलमारी रैक, फ्रुटसेफ, पानी की टंकी, टब आदि बनाने का कार्य सम्पन्न हो रहा है। इसके अतिरिक्त थैले, टाटपट्टी, पैकिंग, केसेज, चक्की आटा पत्थर, टोकरी, रिगांल की चटाई, पत्थर की स्लेट व सीमेन्ट के चैके, कोल्हू, तेल की धानी, जूते चप्पल, बुग्गी, साबुन, फाइल कवर, निवाड़, छपाई के लिए प्रिटिंग प्रेस, लकड़ी के खिलौने, बेसिक पाठशालाओं में प्रयोग आने वाला समस्त साज-सज्जा का सामान आदि का उत्पादन किया जाता है।
पंचायत उद्योगों द्वारा वर्ष 1961-62 से पंचायत राज अधिनियम के अन्तर्गत संयुक्त समितिया स्थापित करके कारोबार प्रारम्भ किया और उत्तरोत्तर उनके कारोबार में वृद्धि होती गयी। वर्ष 1976 में पंचायत उद्योगों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश शासन के आदेश संख्या - 5038 ग/33-371-74 दिनांक 16 जुलाई, 1976 के अंतर्गत पंचायत उद्योग द्वारा निर्मित वस्तुओं को समस्त सरकारी विभागों एवं अर्द्धसरकारी विभागों को पंचायत उद्योगों से सामान क्रय करने के लिए टेण्डर या कोटेशन आदि मांगने से अवमुक्त करते हुए निर्देश जारी किये गए हैं।
शासन ने पंचायत उद्योगों द्वारा उत्पादित सामान की बिक्री के लिए टेण्डर कोटेशन से छूट प्रदान करते हुए यह स्पष्ट आदेश दिए हैं कि प्र देश के समस्त विभागों, पंचायती राज संस्थाओं, स्थानीय निकायों, निगमों और बेसिक शिक्षा संस्थाओं आदि द्वारा अपनी साज-सज्जा आदि की सामग्री इन पंचायत उद्योगों से ही क्रय की जाये।

सम्बंधित दस्तावेज एवं शासनादेश
57691

Gram Panchayats

826

Block Panchayat

75

District

56,642

Panchayat Bhawan

हमारे बारे में

पंचायती राज व्यवस्था (उ० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत आते हैं। पंचायती राज व्यवस्था आम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा एक सुनियोजित पंचायती राज व्यवस्था स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। 73वां संविधान संशोधन अधिनियम के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज अधिनियमों अर्थात् उ.प्र. पंचायत राज अधिनियम-1947 एवम् उ.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1961 में अपेक्षित संशोधन कर संवैधानिक व्यवस्था को मूर्तरूप दिया गया। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1995 में एक विकेन्द्रीकरण एवं प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया था

विभागीय उपलब्धियाँ