73वें संविधान संशोधन के पश्चात् प्रदेश में नयी त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई, जिसमें प्रत्येक स्तर की पंचायत की भूमिका और उनके दायित्व स्पष्ट हैं। विकेन्द्रित नियोजन प्रक्रिया में जनसहभागिता एवं विकास कार्यक्रमों/योजनाओं से सम्बन्धित चयन, क्रियान्वयन तथा निगरानी का दायित्व भी पंचायती राज संस्थाओं को दिया गया है। निर्वाचन के पश्चात् त्रिस्तरीय पंचायत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है कि नवनिर्वाचित त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों के साथ-साथ उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी जाये। तभी एक प्रभावी स्थानीय स्वशासन की स्थापना करने में सफलता प्राप्त हो सकेगी। भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार का यह अनवरत प्रयास रहा है कि प्रत्येक योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु क्रियान्वयन से पूर्व सम्बन्धित प्रतिनिधियों/कर्मचारियों का क्षमता विकास किया जाना आवश्यक है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु शासनादेश संख्याः- 781/33-3-2016-158/2015 दिनांक 18 मार्च, 2016 के द्वारा पंचायती राज विभाग के अन्तर्गत राज्य स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान 'प्रिट' स्थापित करने का निर्णय लिया गया। यह संस्थान वर्तमान में प्लाट नं0-6, सेक्टर-ई, अलीगंज, लोहिया भवन, लखनऊ
अतः सभी स्तर के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिया जाना वांछित है। इस हेतु पंचायती राज विभाग का कोई स्वयं का प्रशिक्षण संस्थान न होने के कारण नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दे पाना सम्भव नहीं हो पाता था। फलस्वरूप इस हेतु अलग से बिल्डिंग बनायी गयी, जिसमें महिलाओं एवं पुरूषों के लिये अलग-अलग छात्रावास, व्याख्यान कक्ष व खेलकूद की आधुनिक व्यवस्था भी की गयी। उत्तर प्रदेश के पंचायत सामान्य निर्वाचन 2015 के बाद त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि निर्वाचित हो कर आये है।